Tuesday 29 April 2014

किसी भी राशि का भुगतान करते समय उस की रसीद अवश्य लेनी चाहिए।

समस्या-
बैतूल मध्यप्रदेश से शुभि अग्रवाल ने पूछा है-
म से एक व्यक्ति ने 2,50,000.00 रुपए उधार लिया था। उसे चुकाने के लिए उस ने हमें एक चैक दिया था। बैंक में चैक प्रस्तुत करने पर वह अनादरित हो गया। हम ने धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम में परिवाद प्रस्तुत किया। अब वह बोल रहा है कि उस ने तो 50,000.00 रुपया ही उधार लिया था और चैक में हम ने मनामानी राशि भर ली। अब हमें क्या करना चाहिए?

समाधान-
प की बात कुछ अस्पष्ट है। धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम की शिकायत पर जो मुकदमा पंजीकृत होता है वह एक अपराधिक मुकदमा होता है। इस में चैक दाता अभियु्क्त होता है। इस मामले में मुकदमे के आरंभ में मात्र अभियुक्त से इतना पूछा जाता है कि वह आरोप स्वीकार करता है या नहीं। उस के बाद परिवादी की साक्ष्य होती है तथा फिर अभियुक्त की बचाव साक्ष्य होती है। अभियुक्त को उस से पहले बोलने का कोई अवसर नहीं होता। परिवादी की साक्ष्य के समय अवश्य ही अभियुक्त का अधिवक्ता प्रतिपरीक्षण में प्रश्न कर सकता है कि कर्ज केवल 50,000.00 रुपया लिया था तथा चैक आप ने गलत भर लिया है। 
लेकिन जब ऐसा प्रश्न किया जाता है तो वास्तव में अभियुक्त की ओर से यह अभिस्वीकृति तो आ जाती है कि उस ने कर्जा लिया था। अर्थात उस पर कर्ज का दायित्व नहीं था। अब बचाव में उसे साबित करना होगा कि उस ने कर्जा केवल 50,000.00 रुपए का ही लिया था। जिसे साबित करना आसान नहीं है।
ब भी कोई व्यक्ति कर्ज देता है अथवा किसी राशि का भुगतान करता है तो वह अधिप्रभावी स्थिति में होता है। उसे चाहिए कि वह उस समय जिस राशि का भुगतान करता उस की रसीद प्राप्त करे। धनराशि रुपए 5000 से अधिक हो तो रसीदी टिकट अवश्य लगवाए। आप ने भी रुपए 2,50,000.00 उधार देते समय अवश्य उस की रसीद कर्जदार से प्राप्त की होगी। आप वह रसीद सबूत के बतौर न्यायालय में प्रस्तुत कर सकती हैं जो कि इस बात का सबूत होगा कि चैक कर्ज को चुकाने के लिए दिया गया था। 
दि यह पाया जाता है कि कर्ज देते समय कोई चैक सीक्योरिटी के बतौर दिया गया था तो वह दायित्व की पूर्ति के लिए नहीं होगा और उस पर आधारित शिकायत न्यायालय द्वारा निरस्त की जा सकती है। 
प के मामले में आप का यह भय व्यर्थ प्रतीत होता है क्यों कि केवल मात्र अभियुक्त के यह कहने से कि उस ने मात्र 50,000.00 रुपए का कर्ज लिया था कुछ नहीं होगा। उसे यह भी साबित करना होगा कि उस ने 2,50,000.00 रुपए का कर्ज नहीं लिया था जिसे साबित कर पाना लगभग असंभव है।

Sunday 17 November 2013

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बहुत पत्र पत्रिकाओं ने मेरी साइट तीसरा खंबा से तथा विभिन्न ब्लागों से ब्लाग पोस्टों को बिना अनुमति तथा बिना सूचना के अपने यहाँ प्रकाशित किया है। वे अक्सर यूआरएल इस ब्लाग की दे देते हैं। इस कारण यह ब्लाग अस्तित्व में लाना पड़ा। आशा है एक और ब्लाग की पैदाइश आप को बुरी नहीं लगेगी।
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